kuldeepanchal9
हम बदल गये हैं
कोई भी इस भ्रंम में न रहे कि हम बदल गये हैं
हम जैसे पहले थे वैसे ही हैं पहले भी बुरे थे आज कुछ के लिए भी बुरे हैं
पहले भी कटु सत्य कहने में कोई संकोच.नहीं करते थे आज भी
ऐसा ही कटु सत्य बोलते हैं
नीम के पत्ते की तरह ही ठीक हैं कि कोई चबाकर तो नहीं खाना चाहेगा
*** डॉ पांचाल