kuldeepanchal9
संस्कार न होना
Updated: Jun 11, 2021
समय के अभाव में माता पिता का दुलार कहीं खो सा गया है और हम कहते हैं कि बच्चों में संस्कार समाप्त हो गए हैं
माँ का बचपन में अपने बच्चे के शरीर की मालिश,सिर में तेल मालिश,आंखों में काजल
पिता का अपनी पीठ पर बिठाना अपने बच्चों के साथ खेलना खो सा गया है
संतान को लोरी सुनाना, भजन सुनाना व कहानी सुनाना, प्रसाद रूपी दंड देना इत्यादि का चलन समाप्त हो गया है
बड़ों के सम्मान के लिए न कहकर कहते हैं कि नाच कर दिखा,चरण स्पर्श की प्रथा कहीं खो सी गयी है
और हम कहते हैं कि बच्चे संस्कारी नहीं रहे
आप स्वयं विचार करें
*** डॉ पाँचाल
#ethics#indiancustoms