kuldeepanchal9
सहन शक्ति
सहनशक्ति की एक सीमा होती है पृथ्वी पर दिन प्रतिदिन अत्याचार होते हैं उसको भी भूकंप के रूप में कुछ मचलने का अधिकार होता है, दोष बादलों का नहीं होता उनको भी बरसने का अधिकार है, तूफान को अपना जोश दिखाने का अधिकार है, समुन्द्र को भी कभी-कभी अपनी शक्ति का अहसास कराने का मन होता है इसी प्रकार मन मस्तिष्क से ग्रसित मनुष्य को क्रोध वश अपने विचार को क्रोध में प्रकट करने का अधिकार होता है
*** डॉ पांचाल
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