kuldeepanchal9
संविधान,प्रावधान व् समाधान
परमेश्वर मनुष्य के जीवन में भाग्य के रूप में एक संविधान लिखते हैं जिसमें सम्पूर्ण जीवन की गतिविधियाँ का विशलेषण होता है न हम उसको पढनें में सक्षम होते हैं तथा न ही कोई प्रावधान कर सकते | केवल कर्मों के द्वारा जीवन यापन कर पाते हैं यदि कोई समस्या होती है तो अपने कर्मो के द्वारा व् अपने विवेक से समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होते हैं |
*** डॉ पांचाल

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