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व्यक्ति, समय व् आयु के अनुरूप प्रेम में परिवर्तन

प्रेम व्यक्ति, समय व् आयु के अनुरूप परिवर्तित होता रहता है बचपन में सभी से प्रेम मिलता

रहता है बचपन के बाद प्रेम करने वालों में कुछ कमी आती है उसके पश्चात यौवन के आरम्भ

से यौवन की समाप्ति तक जीवन साथी के अतिरिक्त अन्य से भी प्रेम मिलता रहता है जैसे जैसे

आयु बढती रहती है प्रेम करने वाले व्यक्तियों में कमी आती रहती है यहाँ तक कि जीवन साथी

व् संतान से भी प्रेम मिलना कम हो जाता है | मनुष्य को ऐसे ऐसे कार्य करते रहने चाहिए

कि आयु बढ़ने के पश्चात भी प्रेम में भी कभी भी कमी न हो दूसरों की सहानभूति पर जीवित

रहने से अच्छा है कि अपने कार्य के द्वारा दूसरों से सदैव प्रेम मिलता रहे यही जीवन का

सार होना चाहिए |


*** डॉ पांचाल


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