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लाडला व् दुलारे

बचपन में माता पिता के बहुत लाडले थे सभी के दुलारे थे यौवन की चौखट पर बहुतों के प्यारे थे विवाह के बाद अपने परिवार के राजा थे जीवन की इस चकाचौंध में समय, समाज के थपेड़ों ने व् मनुष्यों के व्यवहार ने जीवन में कर्तव्य निष्ठां ने पुरुष को एक बैल सा बना दिया और सारा दुलार सारा प्यार धूमिल हो गया |

*** डॉ पांचाल


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