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लक्ष्य के बिना सपने अधूरे रहते हैं

लक्ष्य के बिना सपने सिर्फ सपने ही रहते हैं वे सपने केवल और केवल सड़क पर निराशा को हवा देते हैं यदि खुले नेत्रों के सपनों को पूर्ण करना है तो उसके लिए हमें अनुशासन में रहकर कार्य करना होता हैं लेकिन अधिक महत्वपूर्ण रूप से निरंतरता भी आवश्यक हैं क्योंकि प्रतिबद्धता के बिना हम कार्य कभी शुरू नहीं करेंगे

*** डॉ पांचाल


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