kuldeepanchal9
मानव मात्र
अधिक गुणवान नहीं
अधिक धनवान नहीं
अधिक विद्वान नहीं
अधिक आदर्शवान नहीं
अधिक बलवान नहीं
अधिक पाप पुण्य से अज्ञान नहीं
अधिक चरित्रवान नहीं
अधिक यम नियम तप प्राणायाम करने वाला नहीं
अपने कर्तव्यों से अज्ञान नहीं
अधिक मान सम्मान का पात्र नहीं
केवल और केवल मानव मात्र हूँ
कोई देवगण नहीं
***डॉ पांचाल