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मैं उनको दूंढ रहा हूँ

भारत माता वंदन की धरती है अभिनन्दन की धरती हैं ये अर्पण की भूमि है तर्पण की भूमि हैं हर नदी यहाँ गंगा है कण कण शंकर हैं हम जियेंगे और मरेंगे इस भारत माँ के लिए समर्पण करते हैं सर्वस्व इस धरा के लिए

आजादी के ७५ वे अमृत महोत्सव के उपलक्ष पर मैं डॉक्टर पांचाल कुछ पंक्तिया कहना चाहता हूँ जिसमे सतयुग से कलयुग तक के महर्षियों, महापुरुषों,क्रांतिवीरों व् हमारे अदर्शनीय व् अज्ञात पूर्वजो का वर्णन है जिसमे विश्व गुरु भारत की झलक भी प्रतीत होगी पंक्तियों का शीर्षक है मैं उनको दूंढ रहा हूँ

1.बचपन में शेरो के दांत गिनने वाले शेरो के साथ खेलने वाले भारत के भरत को मैं दूंढ रहा हूँ

2. हिम वर्ग का वक्ष चीर कर जिस भागीरथ ने पावन गंगा दी मैं उस भागीरथी को दूंढ रहा हूँ

३ पुरुषोतम श्रीरामजी के कर्तव्य परायणता व् रामायण के रचेता महर्षि वाल्मीकि को मैं दूंढ रहा हूँ

४ . वेदों के ज्ञाता महाभारत के रचेता महर्षि व्यास को मैं दूंढ रहा हूँ

5 नभ के नक्षत्रो को संघ्या दी मैं उन ऋषियों को दूंढ रहा हूँ


6 वेदों में सृष्टि का वर्णन करने वाले उन चार ऋषियों को मैं दूंढ रहा हूँ

6 विश्व को शून्य का ज्ञान देने वाले ऋषियों को मैं दूंढ रहा हूँ

7 पिता की आज्ञा का पालन करने हेतु जिसने वनवास लिया मैं उन श्रीराम को दूंढ रहा हूँ

8 सब कुछ त्याग करके अपने भाई का साथ देने वाले श्रीलक्ष्मण को मैं दूंढ रहा हूँ

9 अपने भाई के वियोग में सिंहसान का त्याग करने वाले राजा भरत को मैं दूंढ रहा हूँ

10 अपने माता पिता को राष्ट्र भ्रमण करवाने वाले श्रवण कुमार को मैं दूंढ रहा हूँ

12 राघव ने वन वन भटक जिस तन में प्राण प्रतिष्ठा की मैं उस अहिल्या को दूंढ रहा हूँ

13 जिसके पावन बलिष्ठ तन की रचना तन दे उस दधिची को मैं दूंढ रहा हूँ

14 जिसने सागर की छाती पर पाषाणों को तैराया है उन वीरो को मैं दूंढ हा हूँ

15 जिसका गौरव कम कर न सकी रावन की स्वर्णमयी लंका उन महापुरुषों को मैं दूंढ रहा हूँ

16 पितृ भक्ति से प्रेरित अपनी माता का वध करने वाले परशु राम को मैं दूंढ रहा हूँ

17 माता की सीख से प्रेरित होकर विष्णु से आशीर्वाद पाने वाले ध्रुव को मैं दूंढ रहा हूँ

18 पितृ भक्ति से प्रेरित होकर यमराज से संवाद करने वाले नचिकेता को मैं दूंढ रहा हूँ

19 पुराण प्रसिद्ध विष्णु भक्त विष्णुजी को द्वारपाल बनाने वाले दानवीर महान योद्धा राजा बलि को मैं दूंढ रहा हूँ

20 स्वामी भक्त के अद्वितीय वीर महाप्रतापी हनुमान जी को मैं दूंढ रहा हूँ

21 जिसके पग को हिला न सकी रावन की सेना मैं उस श्रीराम दूत अंगद को दूंढ रहा हूँ

22 त्रिकाल दर्शी राजकुल गुरु सप्त ऋषि महर्षि वशिष्ठ को मैं दूंढ रहा हूँ

२३ महा प्रतापी पराक्रमी ब्रहम ऋषि उपाधि प्राप्त महर्षि विश्वामित्र को मैं दूंढ रहा हूँ


२४ बांसुरी की धून पर नचाने वाले, अर्जुन के रथ को चलाने वाले, गिरिराज पर्वत को धारण करने वाले सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण को मैं दूंढ रहा हूँ

२५ पिता के आदेश पर दृढ प्रतिज्ञा लेने वाले भीष्म पितामह श्री को मैं दूंढ रहा हूँ

२६ गर्भ में कथा सुनकर चक्रव्यूह को भेदने वाले अभिमन्यु को मैं दूंढ रहा हूँ

२७ सम्पूर्ण विश्व में उड़ने वाले यान पुष्कर विमान को मैं दूंढ रहा हूँ

२८ विश्व को प्लास्टिक सर्जरी का ज्ञान देने वाले श्रुशत ऋषि को मैं दूंढ रहा हूँ

29 विश्व को जड़ी बूटियों का ज्ञान देने वाले चरक ऋषि को मैं दूंढ रहा हूँ

३० ध्रतराष्ट को युद्ध का वृतांत सुनाने वाले संजय को मैं दूंढ रहा हूँ

३१ परमाणु सिधांत का प्रतिपादन करने वाले महर्षि कणाद को मैं दूंढ रहा हूँ

३२ दार्शनिक अनुकर्णीय बुद्धि व् अध्यात्मिक गुणों के लिए प्रसिद्ध विदुषी गार्गी को मैं दूंढ रहा हूँ

३३ धनुर्वेद राजनीतिज्ञ व् इंद्रा देवता से प्राप्त आयुर्वेद के रचेता भरद्वाज ऋषि को मैं दूंढ रहा हूँ

३४ विध्याचल पर्वत को झुकाने वाले बिजली का अविष्कार करने वाले बैटरी बोन कहे जाने वाले महर्षि अगस्त्य ऋषि को मैं दूंढ रहा हूँ

३५ योगसूत्र, अष्टाध्यायी व् आयुर्वेद ग्रन्थ के रचेता पतंजलि ऋषि को मैं दूंढ रहा हूँ

३७ भाषा व्याकरण व् संस्कृत व्याकरण के रचेता पाणिनि ऋषि को मैं दूंढ रहा हूँ

३८ सत्य को सत्य कहने वाले व् आठ स्थानों से विक्षिप्त महान परम ज्ञानी अष्टावक्र को मैं दूंढ रहा हूँ

३९ भक्ति में शक्ति को उजागर करने वाले अपने पिता को सन्देश देने वाले बालक प्रह्लाद को मैं दूंढ रहा हूँ

४० धर्मराज के अवतार कहे जाने वाले परम ज्ञानी कुशल नीतिज्ञ बुद्धिमान विदुर को मैं दूंढ रहा हूँ


*** डॉ पांचाल

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