kuldeepanchal9
मकर सक्रांति
अथर्ववेद के तृतीय कांड के तीसरे सूक्त में एकाष्टका देवी का वर्णन है जिसमें माघ मास की अष्टमी को महत्व दिया गया है, सृष्टि के आदि में न दिन था न रात्रि थी,तब देवताओं की शक्ति से पांच उषाएं जो अंधकार को दूर करके प्रकाशित हुई उनमें एकाष्टका सर्वप्रथम थी | देवगण आगामी एकाष्टका की रात्रि की धेनु के समान प्रतीक्षा करते हैं और कामना करते हैं कि प्रतिवर्ष हमारे लिए फलवती बने व् हमें सुख प्रदान करें इसी मध्य सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं |
*** डॉ पांचाल

#trendsetterdrpanchal#sunrise#makarsakranti