kuldeepanchal9
पश्चाताप,हिमपात,रक्तपात व् उत्पात
जीवन विचित्र घटनाओं से भरा है कब समाप्त हो जाये किसी को ज्ञात नहीं होता ? जीवन में कभी- कभी ऐसी त्रुटि हो जाती है जिसके लिए पश्चाताप की अग्नि में स्वयं को जलाना पड़ता है, कभी -कभी ऐसा विवाद हो जाता है कि रिश्तों पर हिमपात हो जाता है, कभी -कभी रक्तपात भी हो जाता है, इस सबके अतिरिक्त जीवन में उत्पात चलता ही रहता है जिससे किसी को कोई अधिक असुविधा भी नहीं होती अत: समय समय पर जीवन में उत्पात चलता रहना चाहिए |
*** डॉ पांचाल

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