kuldeepanchal9
पल प्रतिपल युद्ध स्वयं के विरुद्ध
मैं स्वयं से ही पल प्रतिपल युद्ध करता हूँ कभी पराजित होकर दुःख मनाता हूँ कभी विजयी होकर उत्सव मनाता हूँ लेकिन पल प्रतिपल स्वयं से युद्ध करता रहता हूँ | हो सकता है कि कुछ गुणों को परमेश्वर ने मेरे अंतर्मन में समाहित किया हो लेकिन अवगुणों की खान हूँ, इसलिए स्वयं से युद्ध आवश्यक हैं | अपनी पराजय को विजय में परिवर्तित करने के लिए स्वयं से युद्ध कर रहा हूँ | राजा अशोक ने विजयी होकर भी पराजय स्वीकार की तथा स्वयं से युद्ध करके सम्राट अशोक बन गये | मुझे सम्राट अशोक बनने की चाह नही है लेकिन मानवता निभाने के लिए स्वयं से युद्ध करके मानव बनने की चाह है |
***डॉ पांचाल

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