kuldeepanchal9
चरित्र निर्माण
मनुष्य को चरित्र निर्माण करने के लिए स्वयं की आकांक्षाएं व् अपने मन मस्तिष्क में उत्पन्न सभी इच्छाओं का दमन करना होता है | चरित्र निर्माण एक बगीचे की तरह नहीं होना चाहिए जिसमें कोई भी विचरण कर सके चरित्र निर्माण एक गगन की तरह होना चाहिए जिसको हर मनुष्य छूने की चाह रखता हो |
*** डॉ पांचाल

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