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कर्म व् परीक्षा
मनुष्य प्रारंभिक जीवन में शिक्षा ग्रहण करता है शिक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए उसे भिन्न भिन्न प्रकार की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है कुछ परीक्षाओं का परिणाम शीघ्र मिल जाता है जैसे प्रतिमाह परीक्षा, कुछ परीक्षाओं का परिणाम कुछ समय पश्चात आता है जैसे अर्धमासिक या वार्षिक परीक्षा, बोर्ड की परीक्षा का परिणाम थोडा विलम्ब से आता है, शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात मनुष्य आजीविका के लिए परीक्षा देता है उसका परिणाम कभी समय से, कभी थोड़े विलम्ब से, कुछ कई वर्षो के पश्चात उसमें भी कुछ ऐसे परिणाम होते हैं कभी स्थिगित हो जाते हैं कभी न्यायालय के निर्णय के पश्चात घोषित होते हैं उसके पश्चात ही मनुष्य को कार्य करने का अवसर मिलता है | इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में कर्मो का लेखा जोखा होता है, मनुष्य को कर्मो के आधार पर फल मिलता है कुछ अति शीघ्र, कुछ विलम्ब से, कुछ अधिक विलम्ब से तथा कुछ का फल उस समय मिलता है जब मनुष्य परिणाम के विषय में सोचना भी बंद कर देता है परीक्षा या कर्म का परिणाम क्या होगा ? मनुष्य के लिए यह विचारणीय होता है |
*** डॉ पांचाल

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