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कर्मों का फल

यह आवश्यक नहीं है कि सभी कर्मों का फल सकारात्मक ही हो | वर्षा की प्रत्येक बूँद सृजन ही नहीं करती, कोई बूँद गर्म पत्थर की तपिस पर स्वयं को समर्पित कर देती है, कोई बूँद किसी प्राणी की प्यास को शांत करती है , कोई बूँद सीप में प्रवेश करके मोती का रूप धारण कर लेती है,कोई बूँद बीज को जीवन प्रदान करती है, कोई बूँद खाद्य पदार्थ को उत्पन्नं करती है,ऐसे ही मनुष्य का कर्म होता है सभी कर्म सकारात्मक परिणाम नहीं होते , सभी मनुष्य कर्म करते हैं लेकिन सभी का परिणाम सकारात्मक नहीं हो सकता |


*** डॉ पांचाल


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