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एक सेकंड, पल व् क्षण की महत्ता

सृष्टि में सभी की महत्ता होती है जैसे महीना,दिन रात्रि व् समय लेकिन सेकंड व् पल की महत्ता ही अलग है रात्रि में ११.५९.५९ में एक पल की महत्ता इस प्रकार है एक क्षण में एक अवयस्क व्यस्क बन जाता है वोट देने का अधिकारी बन जाता है, विवाह के योग्य हो जाता है पता नहीं ऐसा क्या है कि एक क्षण में मनुष्य का अधिकार बन जाता है क्या है कि उसके मस्तिष्क में इतना विकास हो जाता है कि उसके अधिकारों में वृद्धि हो जाती है |

*** डॉ पांचाल


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