kuldeepanchal9
अनुकूल व प्रतिकूल
आज के समय में हम सब चतुर विद्वान हैं
रिश्तों व संबंधों में मिठास रखने के लिए कभी कभी समझौता करना पड़ता है
जब तक हम दूसरों के अनुकूल कार्य करते रहेंगे या उनके अनुसार चलते रहेंगे बातें करते रहेंगे
तब तक हम बहुत अच्छे हैं
लेकिन जब भी सामने वाले के प्रतिकूल अपने अधिकार रूप हम अपने अनुसार कार्य करेंगे या बातें करेंगे या अपने मन से कुछ कहेंगे
तभी हम बहुत बुरे बन जाएंगे
हमारी सारी अच्छाइयां बुराई में परिवर्तित हो जाती हैं ***डॉ पाँचाल